पहला मशीनगन फाइटर प्लेन बनाने वाले पायलट पर रखा गया रोलां गैरो नाम, भूमध्य सागर भी पहली बार इन्होंने ही पार किया था
कोरोनावायरस के बीच टेनिस ग्रैंड स्लैम फ्रेंच ओपन आज से शुरू हो रहा है। यह टूर्नामेंट 11 अक्टूबर तक चलेगा। 129 साल पुराने ग्रैंड स्लैम का आधिकारिक नाम रोलां गैरो है। आपको जानकार हैरानी होगी कि यह नाम किसी खिलाड़ी का नहीं बल्कि एक फाइटर प्लेन बनाने वाले पायलट के नाम पर रखा गया था।
टेनिस के 4 सबसे बड़े टूर्नामेंट में से एक फ्रेंच ओपन साल का दूसरा ग्रैंड स्लैम होता है, जो मई-जून में खेला जाता है, लेकिन पहली बार कोरोना के कारण यह इस बार साल के आखिरी में हो रहा है।
1924 तक फ्रांस के खिलाड़ी ही ग्रैंड स्लैम खेलते थे
1981 में यह फ्रेंच क्ले कोर्ट चैम्पियनशिप के नाम से शुरू हुआ था, जो फ्रेंच क्लब के सदस्यों के बीच ही खेला जाता था। 1924 तक सिर्फ फ्रांस के खिलाड़ी ही पेरिस के दो अलग-अलग कोर्ट में यह टूर्नामेंट खेलते थे। 1925 से विदेशी प्लेयर्स को भी मौका दिया जाने लगा। इसी साल से इसका नाम फ्रेंच ओपन कर दिया गया।
1928 में डेविस कप के लिए रोलां गैरो नाम का एक स्टेडियम बनाया गया। तब से यह टूर्नामेंट इसी स्टेडियम में खेला जाने लगा और आधिकारिक तौर पर टूर्नामेंट का नाम भी रोलां गैरो कर दिया गया।
रोलां गैरो एक फाइटर पायलट का नाम था, जो फ्रांस की ओर से लड़ते हुए पहले विश्व युद्ध में शहीद हो गए थे। इसी युद्ध के लिए गैरो ने पहली बार ऑन-बोर्ड मशीनगन से लैस पहला सिंगल-सीटर फाइटर प्लेन बनाया था।
यह प्रोपेलर के जरिए फायर कर सकता था। इस प्लेन के जरिए उन्होंने दुश्मन के तीन विमान को मार गिराया था। हालांकि, उनका प्लेन भी क्रैश हो गया था और जर्मनी सेना ने उन्हें गिरफ्त में ले लिया था। इसके तीन साल बाद वे भाग निकले थे।
चश्मा लगाकर प्लेन उड़ाया और फिर विश्व युद्ध में शामिल हुए
जर्मनी की गिरफ्त से निकलने के बाद उन्हें आंखों से कम दिखाई देने लगा था, लेकिन इसके बावजूद वे चश्मा पहनकर विमान उड़ाते थे। फ्रांस ने उन्हें वायुसेना के सलाहकार के रूप में काम करने को कहा, लेकिन वे नहीं माने और युद्ध में फिर लौटे।
उनके जन्मदिन से ठीक एक दिन पहले यानी 5 अक्टूबर 1918 को बेल्जियम बॉर्डर के करीब प्लेन क्रैश होने से वे शहीद हो गए थे। इसके 10 साल बाद के एक मित्र और राजनेता ने उनकी सेवाओं को याद रखने के लिए स्टेडियम का नाम रोलां गैरो करने की मांग की थी।
भूमध्य सागर को पार करने वाली दुनिया की पहली फ्लाइट
गैरो का जन्म 1888 में फ्रांस के रियूनियन आइलैंड में हुआ था। बिजनेसमैन रहे गैरो 21 की उम्र में एविएटर बने। अगस्त 1909 में एक एयर शो को देखने के बाद उन्होंने एक प्लेन खरीदा और इसे उड़ाना सीखा। 23 सितंबर 1913 को उन्होंने इतिहास की पहली लंबी उड़ान (780 किलोमीटर) के साथ भूमध्य सागर पार किया।
उन्होंने 200 लीटर फ्यूल और 60 लीटर कस्तोर ऑइल के साथ फ्रेंच रिवेरा से ट्यूनीशिया के लिए उड़ान भरी। प्लेन के दो इंजन फेल होने के बावजूद ट्यूनीशिया में सेफ लैंडिंग कराई। उनके विमान में महज 5 लीटर ईंधन बचा था। उनकी इस उड़ान ने उन्हें भूमध्य सागर पार करने वाला पहला एविएटर बनाया।
नडाल लगातार तीन बार से खिताब जीत रहे
लाल बजरी के बादशाह कहे जाने वाले स्पेन के राफेल नडाल ने सबसे ज्यादा 12 बार फ्रेंच ओपन खिताब जीता है। ओवरऑल सबसे ज्यादा 20 ग्लैंड स्लैम जीतने वाले स्विट्जरलैंड के रोजर फेडरर से वे एक खिताब पीछे हैं। हालांकि, फेडरर चोट के कारण इस बार ग्रैंड स्लैम नहीं खेल रहे, ऐसे में डिफेंडिंग चैम्पियन नडाल के पास उनकी बराबरी करने का मौका है।
खिलाड़ी | देश | ग्रैंड स्लैम जीते | कुल |
रोजर फेडरर | स्विट्जरलैंड | 5 यूएस ओपन, 8 विंबलडन, 6 ऑस्ट्रेलियन और 1 फ्रेंच ओपन | 20 |
राफेल नडाल | स्पेन | 4 यूएस ओपन, 12 फ्रेंच ओपन, 1 ऑस्ट्रेलियन और 2 विंबलडन | 19 |
नोवाक जोकोविच | सर्बिया | 3 यूएस ओपन, 8 ऑस्ट्रेलियन ओपन, 5 विंबलडन और 1 फ्रेंच ओपन | 17 |
स्टेडियम में 5 हजार दर्शकों को मिलेगी अनुमति
हाल ही में फ्रेंच टेनिस फेडरेशन के अध्यक्ष बर्नार्ड जियूडिसेल्ली ने कहा था कि यह टेनिस की बहाली के बाद पहला टूर्नामेंट होगा, जिसमें दर्शक मौजूद होंगे। सरकार की नई गाइडलाइन के मुताबिक, पेरिस जैसे शहर में किसी भी तरह के स्पोर्ट्स, कल्चरल इवेंट में 5 हजार दर्शक मौजूद रह सकते हैं। फेडरेशन ने इसी हिसाब से फ्रेंच ओपन के लिए प्लान तैयार किया है।
खिलाड़ियों का हर पांचवें दिन कोरोना टेस्ट होगा
ऑर्गेनाइजर्स के मुताबिक, सभी खिलाड़ियों को कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आने पर ही टूर्नामेंट में एंट्री मिलेगी। उनकी 72 घंटे के भीतर दोबारा जांच होगी और हर 5वें दिन कोरोना टेस्ट होगा। खिलाड़ियों को दो होटलों में ठहराया जाएगा। स्टेडियम में आने वाले हर एक व्यक्ति को मास्क पहनना होगा। टूर्नामेंट से जुड़े हर व्यक्ति को बायो-सिक्योर माहौल में आने से पहले कोरोना टेस्ट कराना होगा।
नडाल के बाद बोर्ग ने सबसे ज्यादा फ्रेंच ओपन खिताब जीते
खिलाड़ी | देश | फ्रेंच ओपन जीते |
राफेल नडाल | स्पेन | 12 |
ब्जोर्न बोर्ग | स्वीडन | 6 |
मैट्स विलेंडर | स्वीडन | 3 |
गुस्तावो कुएर्टेन | ब्राजील | 3 |
इवान लेंडल | चेक रिपब्लिक | 3 |
प्राइज मनी बढ़ाई गई
इस बार फर्स्ट राउंड में हारने वाले प्लेयर्स के लिए पिछले साल के मुकाबले प्राइज मनी 30% बढ़ा दी गई। अब हर खिलाड़ी को 71 हजार डॉलर (52 लाख रुपए) मिलेंगे। क्वालिफाई करने वाले खिलाड़ियों को भी पिछले साल के मुकाबले 27% ज्यादा प्राइज मनी मिलेगी।
क्वालिफिकेशन के पहले राउंड में हारने वाले प्लेयर्स को 11 हजार 800 अमेरिकी डॉलर (8.67 लाख रुपए) मिलेंगे। इस बार कुल प्राइज मनी 38 करोड़ यूरो (करीब 326 करोड़ रुपए) रखी गई है, जो पिछले साल के मुकाबले 10.93% है। विनर को 16 लाख यूरो (करीब 14 करोड़ रुपए) मिलेंगे, जो 2019 से 30.43% कम है।
वुमन्स में डिफेंडिंग चैम्पियन बार्टी कोरोना के कारण नहीं खेल रहीं
पिछले साल मेंस सिंगल्स में नडाल ने खिताब जीता था। वुमन्स कैटेगरी में मौजूदा वर्ल्ड नंबर-1 ऑस्ट्रेलिया की एश्ले बार्टी ने अपना पहला ग्रैंड स्लैम जीता था। हालांकि, बार्टी इस साल कोरोना के कारण फ्रेंच ओपन नहीं खेलेंगी।
क्ले कोर्ट पर प्लेयर को काफी ताकत लगानी पड़ती है
टेनिस में तीन तरह के ही ग्रास, क्ले और हार्ड कोर्ट होते हैं। ऑस्ट्रेलियन और यूएस ओपन हार्ड (कंक्रीट से बने) कोर्ट, जबकि विंबलडन ग्रास (घास वाले) कोर्ट पर खेला जाता है। फ्रेंच ओपन क्ले कोर्ट पर होता है। यह कोर्ट लाल बजरी से बनाया जाता है, जिस पर बॉल की स्पीड स्लो होती है। क्ले कोर्ट पर बॉल की फिसलन कम और उछाल तेज हो जाता है। इस कोर्ट पर प्लेयर को काफी ताकत लगानी पड़ती है। नडाल और स्टेफी ग्राफ क्ले कोर्ट के बादशाह माने जाते हैं।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद पहली बार विंबलडन रद्द हुआ
इस साल 4 की जगह 3 ही ग्रैंड स्लैम हुए। 1972 में ओपन एरा शुरू होने के बाद से पहली बार ऐसा हुआ है। कोरोना के कारण विंबलडन दूसरे विश्व युद्ध के बाद पहली बार रद्द किया गया है। ऑस्ट्रेलियन और यूएस ओपन पहले ही हो चुका।
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