9 अमेरिकी राष्ट्रपतियों की सटीक भविष्यवाणी करने वाले प्रो. लीश्टमान का दावा- चुनाव निष्पक्ष हुए और रूस दूर रहा तो ट्रम्प नहीं जीतेंगे
अमेरिकी चुनाव निष्पक्ष होते हैं, रूस दखलंदाजी नहीं करता तो डोनाल्ड ट्रम्प निश्चित हारेंगे। यह कहना है वॉशिंगटन डीसी स्थित अमेरिकन विश्वविद्यालय में इतिहास के प्रोफेसर एलन लीश्टमान का। वे 40 साल से अमेरिकी चुनाव की सटीक भविष्यवाणी कर रहे हैं। ‘द केस फॉर इम्पीचमेंट’ समेत 11 किताबें लिख चुके हैं। प्रो. लीश्टमान से रितेश शुक्ल ने बात की। पढ़ें बातचीत...
सवाल: आपने पहली बार अपनी भविष्यवाणी में अगर-मगर शब्द जोड़े हैंं?
जवाब: हां, यह सही है। रोनाल्ड रीगन से लेकर डोनाल्ड ट्रम्प तक 9 राष्ट्रपतियों को लेकर मैंने सटीक भविष्यवाणी बिना किसी अगर-मगर के की है। मेरी भविष्यवाणी वैज्ञानिक मॉडल पर आधारित है। इसमें सुशासन से जुड़े 13 पैरामीटर पर प्रत्याशी को परखा जाता है। इसमें इतिहास-गणित का सामंजस्य है। इतिहास गवाह है अमेरिकी चुनाव में गवर्नेंस की कमी को प्रचार से पाटा नहीं जा सका है। लेकिन यह चुनाव अलग है।
सवाल: आपको यह चुनाव बाकी चुनावों से अलग क्यों लग रहा है?
जवाब: अमेरिका में हमेशा सत्ता परिवर्तन शांतिपूर्ण रहा है। वोटर ने कभी दबाव में न तो वोट डाला, न ही वोट डालने से परहेज किया। कभी किसी और देश का हस्तक्षेप भी नहीं रहा है। लेकिन 2020 पहला ऐसा चुनावी वर्ष है, जब ये तीनों आशंकाएं सच साबित हो सकती हैं।
सवाल: आपके मॉडल के 13 पैरामीटर में ट्रम्प कितने पर खरे उतरे?
जवाब: 13 पैरामीटर में से अगर प्रत्याशी छह मापदंडों में खरा नहीं उतरता है तो व्हाइट हाउस में भूकंप आना तय है। इस बार 13 में से 7 पैरामीटर पर ट्रम्प खरे नहीं उतरे हैं। इसलिए ट्रम्प हारेंगे। 2019 तक ट्रम्प के खिलाफ 4 पैरामीटर थे लेकिन महामारी के बाद ये 7 हो गए।
सवाल: 2016 में आपने किस आधार पर ट्रम्प की जीत की भविष्यवाणी की थी?
जवाब: 2016 में हिलेरी क्लिंटन ट्रम्प से बेहतर थीं और उन्हें जनता का वोट भी ट्रम्प से कहीं ज्यादा मिला था। लेकिन मेरे पैरामीटर में उनकी पार्टी के जीतने की संभावना नहीं बन रही थी। 2016 का चुनाव जीतने के बाद अखबार में छपी मेरे भविष्यवाणी की एक प्रति पर ट्रम्प ने हस्ताक्षर कर बधाई भेजी थी, पर वो मेरे मॉडल को नहीं समझ सके।
इन 13 में से 7 पैरामीटर पर ट्रम्प फेल
यहां पास क्योंकि...
- राष्ट्रपति को अपनी पार्टी के प्रत्याशी से गंभीर चुनौती नहीं।
- पार्टी का प्रत्याशी पहले से राष्ट्रपति है।
- राष्ट्रपति को तीसरी पार्टी या निर्दलीय से गंभीर चुनौती नहीं।
- राष्ट्रीय नीति में प्रभावशाली बदलाव किए।
- सैन्य कार्रवाई में कोई बड़ा नुकसान नहीं पहुंचा।
- प्रतिद्वंदी न आकर्षक नेता है और न नेशनल हीरो है।
यहां फेल क्योंकि...
- मध्यावधि चुनाव में राष्ट्रपति की पार्टी की सीटें नहीं बढ़ीं।
- चुुनाव के दौरान अर्थव्यवस्था मंदी से गुजर रही है।
- दो कार्यकाल की तुलना में आर्थिक बढ़त नहीं मिली।
- सामाजिक शांति भंग करने की घटनाएं कई जगह हुईं।
- बड़े स्कैंडल भी हुए।
- सैन्य कार्रवाई में सफलता नहीं।
- मौजूदा राष्ट्रपति आकर्षक नेता और नेशनल हीरो नहीं है।
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