कैंसर से लड़ते हुए कहा था- मरा नहीं हूं, काम से जिंदा रहने दो

शांत चेहरे और आंखों से अदाकारी से ‘मकबूल’ 53 साल के इरफान खान नहीं रहे। उन्हें न्यूरो इंडोक्राइन ट्यूमर (कैंसर) था। आंतों में संक्रमण होने पर उन्हें मंगलवार काे अस्पताल लाया गया, जहां बुधवार सुबह उन्होंने अंतिम सांस ली। 4 दिन पहले उनकी मां सईदा बेगम का भी निधन हो गया था। इस मौके पर उनकी आखिरी फिल्म अंग्रेजी मीडियम के निर्देशक होमी अदजानिया ने इरफान के बारे में कुछ लिखा। आप भी पढ़िए।

होमी ने बताया कि जिंदगी के आखिरी पलों में भी अपने काम से जिंदा रहने की ख्वाहिश इरफान में ही थी। वे जीवन के सर्कस काे बाहर खड़े हाेकर देखते थे। मैंने उनसे पूछा कि जब वह इलाज करवा रहे हैं ताे शूटिंग क्याें जारी रखना चाहते हैं? उन्हाेंने कहा- ‘मैं मरा नहीं हूं ना...ताे मुझे जिस काम से प्यार है, वह करके जिंदा रहने दाे।’ हमारा फिल्म क्रू मजबूती के लिए उनकी ओर ही देखता था। इरफान ने कभी अपनी समस्या काे दूसराें की समस्या नहीं बनाया। फिल्म तो बन रही थी, लेकिन हममें से किसी काे पक्का पता नहीं था कि आगे क्या हाेने वाला है।

जब इरफान ने अनजान लोगों से भी खूब बातें कीं

होमी ने कहा कि हम लंदन में रेस्तरां में थे कि राह चलता एक शख्स रुक गया। इससे पहले कि वह बाेलता, इरफान बाेल पड़े, ‘प्लीज! अब ये मत कहना कि आपसाेच रहे हैं कि मैं वह भद्दा एक्टर हूं। अगर वह मुझे मिल जाए ताे मैं मुकदमा कर दूंगा।’ वह चला गया। उसे पता ही नहीं चला कि इरफान खुद के नाम पर ही मजाक कर गए। ऐसा ही एक वाकया न्यूयाॅर्क में हुआ। वहां एक दंपती अड़ गया कि इरफान जाने-पहचाने लग रहे हैं। दंपती ने बताया कि वे एक दाेस्त जाॅन की पार्टी में मिले थे। मजे की बात देखिए, इरफान ने उनसे खूब बातें कीं। बाद में मुझसे कहा कि वे न तो जॉन को जानते हैं, न उस दंपती को।

परिवार ने कहा- वे मजबूत इरादों वाले इंसान थे
परिवार ने एक नाेट जारी किया। इसमें लिखा, ‘मुझे यकीन है कि मैं हार चुका हूं...इरफान 2018 में जब कैंसर से लड़ रहे थे, तब उन्हाेंने अपने नोट में यह बात लिखी थी। आज वो हमारे बीच नहीं रहे। इरफान मजबूत इरादों वाले इंसान थे, जाे अंत तक लड़े। इरफान के परिवार में पत्नी सुतपा और दो बेटे बाबिल और आर्यन हैं।

इरफान का आखिरी संदेश- मैं आपके साथ हूं भी और नहीं भी...मेरा इंतजार करिएगा

।'हैलो भाइयो-बहनो, नमस्कार। मैं इरफान। मैं आज आपके साथ हूं भी और नहीं भी। मेरे शरीर के अंदर कुछ अनचाहे मेहमान बैठे हुए हैं। उनसे वार्तालाप चल रही है। देखते हैं ऊंट किस करवट बैठता है। जैसा भी होगा आपको जानकारी दे दी जाएगी।'

बीमारी का पता चलने पर अस्पताल में लिखा था- कई बार सफर ऐसे भी खत्म होता है
अभी तक मैं एक बेहद अलग खेल का हिस्सा था। मैं एक तेज भागती ट्रेन पर सवार था। मेरे सपने थे, योजनाएं थीं। मैं पूरी तरह इस सब में व्यस्त था। तभी ऐसा लगा जैसे किसी ने मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए मुझे रोका। वह टीसी था। बोला- आपका स्टेशन आने वाला है। नीचे उतर जाएं। मैं परेशान हो गया। नहीं-नहीं मेरा स्टेशन अभी नहीं आया है। उसने कहा- नहीं, आपका सफर यहीं तक था। कभी-कभी यह सफर ऐसे ही खत्म होता है।’

सिर्फ 20 लाेग अंतिम संस्कार में शामिल हुए
बुधवार शाम 4 बजे इरफान काे सुपुर्द-ए-खाक किया गया। लाॅकडाउन के कारण परिवार सहित सिर्फ 20 लाेग ही अंतिम संस्कार में शामिल हाे पाए। इरफान राजस्थान के जयपुर के आमेर ओड़ इलाके में जन्मे थे।



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अभिनेता इरफान खान का जन्म 7 जनवरी 1967 को हुआ था। उनका इंतकाल 29 अप्रैल 2020 को हुआ। -फाइल फोटो


from Dainik Bhaskar /national/news/while-fighting-cancer-i-was-told-not-to-die-to-stay-alive-from-work-127259868.html

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