चीन में कोरोना का इलाज कर रहे 50% डॉक्टर डिप्रेशन में, अमेरिका में डॉक्टरों का तनाव कम कर रहे थैरेपी डॉग
न्यूयॉर्क.लॉकडाउन के इस दाैर में अगर आपको बीमारी का डर सता रहा है तो दुनियाभर के उन डॉक्टर्स और हेल्थकेयर वर्कर्स के बारे में कल्पना कीजिए जो लगातार 20-20 घंटे अस्पतालों में काम कर रहे हैं। चीन में कोरोना का इलाज कर रहे 39 अस्पतालाें के 1257 डॉक्टर्स और स्वास्थ्यकर्मियों के एक सर्वे में पता चला है कि 50% में डिप्रेशन, 45% में चिड़चिड़ापन, 34% में अनिद्रा और 71% मनोवैज्ञानिक दुख का शिकार हो गए हैं। महिलाओं और नर्सों पर इसका ज्यादा बुरा असर हुआ है। 2003 में सार्स के दौरान भी डॉक्टर्स को इस बात का डर था कि कहीं उनकी वजह से उनके परिवार भी इस महामारी की चपेट में न आ जाएं।
तनाव से बचने के लिए डॉग्स मददगार
इन दिनों भी डॉक्टर्स इसी तरह के तनाव से गुजर रहे हैं। ऐसे में डॉक्टर्स का तनाव दूर करने में डॉग्स मददगार साबित हो रहे हैं। कोलोराडो के डेनवर शहर के मेडिकल सेेंटर का ऐसा ही एक थैरेपी डॉग व्यान इन दिनों खबरों में है। एक साल के इस लेब्राडोर की मेडिकल स्टाफ के साथ तस्वीरेें सामने आई हैं। इमरजेंसी फिजिशियन डॉ. रेयान व्यान के ट्रेनर हैं, वे कहते हैं कि जो आप देखते हैैं और रोज दिखने वाली जो चीजें आप नहीं देख पाते, वो आपके दिमाग में घूमती रहती हैं। ऐसे तनाव के बीच एक डॉग पास आकर खड़ा हो जाता है तो आप उसे थपथपाते हैं। इस तरह परेशानियों से बाहर निकलकर आप वर्तमान पल में आ जाते हैं और तनाव भूल जाते हैं। अमेरिका में 50 हजार से ज्यादा थैरेपी डॉग्स हैं। नॉर्वे और ब्राजील जैसे देशों में भी अब थैरेपी डाॅग्स का इस्तेमाल मरीजों का तनाव दूर करने में हो रहा है। कई संस्थान डॉग्स को इस काम के लिए ट्रेंड करते हैं और इन्हें सर्टिफिकेट भी दिया जाता है। अप्लाइड एनिमल बिहेवियर साइंस की एक स्टडी में कहा गया है कि डॉग्स को भी अपना यह काम पसंद आ रहा है।
अमेरिका में 50 हजार से ज्यादा थैरेपी डॉग्स हैं
डॉग व्यान इन दिनों असिस्टेंस डॉग बनने की ट्रेनिंग पर है। ट्रेनिंग पूरी होने पर वह विकलांग बच्चों, बुजुर्गों या युवाओं का मददगार बन जाएगा। वह दिनभर डॉक्टर रेयान के केबिन में रहता है। कमरे में लाइट कम होती है और हल्का संगीत चलता है। वैसे व्यान मरीजों का तनाव दूर करता है, लेकिन इन दिनों वाे डॉक्टर्स और नर्सों की भी मदद कर रहा है।
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