क्या फ्लाइट में सफर करना मुश्किल भरा होगा? जानें कोरोना के दौर में क्या बदलने वाला है?
कोरोनावायरस ने किसी इंडस्ट्री को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया है, तो वो है एविएशन। इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (IATA) का अनुमान है कि कोरोना की वजह से दुनियाभर की एविएशन इंडस्ट्री को अभी तक 31 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान हुआ है।
भारत समेत कई देशों में डोमेस्टिक फ्लाइट तो शुरू हो गई हैं, लेकिन इंटरनेशनल फ्लाइट अभी भी पूरी तरह से शुरू नहीं हो पाई हैं। यही वजह है कि कोरोना के असर से इंडस्ट्री को उबारने के लिए IATA एक नया प्लान लेकर आई है और वो है कोविड पासपोर्ट। ये क्या है? इसकी जरूरत क्यों पड़ी? क्या इससे हवाई सफर करना मुश्किल हो जाएगा? आइए जानते हैं...
कोविड पासपोर्ट क्या है?
दरअसल, IATA एक मोबाइल ऐप पर काम कर रहा है, जो दुनियाभर में ट्रैवल पास की तरह समझा जाएगा। इस ऐप को कोरोना की वजह से लाने का प्लान है, इसलिए इसे कोविड पासपोर्ट कहा जा रहा है। IATA के इस ऐप में यात्री के कोरोना टेस्ट, उसे वैक्सीन लगी है या नहीं (वैक्सीन आने के बाद) जैसी जानकारी होगी। इसके साथ ही इस ऐप में यात्री के पासपोर्ट के ई-कॉपी भी होगी।
इस ऐप पर यात्री का QR कोड होगा, जिसे स्कैन करते ही उसकी सारी डिटेल सामने आ जाएगी। ये ऐप IATA के मौजूदा टाइमैटिक सिस्टम पर बेस्ड होगी, जिसका इस्तेमाल डॉक्यूमेंट को वेरिफाई करने के लिए होता है। इसके साथ ही ये ऐप ब्लॉक-चैन टेक्नोलॉजी पर काम करेगा और इसमें यूजर का डेटा स्टोर नहीं होगा।
इसकी जरूरत क्यों पड़ी?
इसकी जरूरत इसलिए पड़ रही है, क्योंकि इंटरनेशनल फ्लाइट से आने वाले पैसेंजर्स कोरोना पॉजिटिव मिल रहे हैं। चीन की वेबसाइट साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के मुताबिक, पिछले दिनों शंघाई में कई कोरोना पॉजिटिव केस आए। इनमें से कई ऐसे थे जो यात्रा करके लौटे थे।
9 नवंबर से भारत और ओमान के बीच एयर बबल एग्रीमेंट के तहत इंटरनेशनल उड़ान शुरू हुई। इस दौरान भी कई यात्री पॉजिटिव निकले, जिसके बाद सीटों की संख्या 10 हजार से घटाकर 5 हजार कर दी गई।
वहीं, हॉन्गकॉन्ग ने भी कोरोना पॉजिटिव मिलने के बाद 3 दिसंबर तक एयर इंडिया की फ्लाइट पर रोक लगा दी है। इसके अलावा महाराष्ट्र सरकार ने राज्य में आने वाले हर व्यक्ति के लिए RT-PCR टेस्ट कराना जरूरी कर दिया है। फिर चाहे वो बस से आए या ट्रेन से या फ्लाइट से।
इंटरनेशनल फ्लाइट से कोरोना पॉजिटिव आने के बाद IATA को एक ऐसे ऐप की जरूरत महसूस हुई, जो यात्री के कोरोना टेस्ट से लेकर उसकी हर डिटेल बता सके। ताकि दोबारा से इंटरनेशनल फ्लाइट को सही तरह से शुरू किया जा सके और बार-बार इन्हें रोकने की जरूरत न पड़े।
क्या और भी कोई कारण?
हां। कोरोना की वजह से दुनिया की इकोनॉमी को झटका लगा है। एविएशन इंडस्ट्री को भी नुकसान झेलना पड़ा है। IATA के मुताबिक, कोरोना की वजह से इस साल एयरलाइन कंपनियों को 84.3 अरब डॉलर यानी करीब 6.23 लाख करोड़ रुपए का घाटा हुआ है। जबकि, उनके रेवेन्यू में भी 419 अरब डॉलर (31 लाख करोड़ रुपए) का नुकसान होने की आशंका है। इसके अलावा यात्रियों की संख्या भी कम हो गई। एविएशन के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ, जब पायलटों की भी नौकरियां गईं। इन्हीं सबसे उबरने के लिए ऐसी कोशिशें की जा रही हैं।
क्या इससे हवाई सफर करना मुश्किल हो जाएगा?
नहीं, बल्कि इससे हवाई सफर पहले की तरह ही सेफ होगा। अमेरिका सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल (CDC) का कहना है कि फ्लाइट में यात्री जगह-जगह सतहों को छूते हैं। कम जगह होने की वजह से यहां सोशल डिस्टेंसिंग भी रख पाना मुमकिन नहीं है।
कुछ फ्लाइट में इन-बिल्ट एयर फिल्ट्रेशन और वेंटिलेशन सिस्टम होता है, जो किसी भी तरह के वायरस को फैलने नहीं देता और फ्लाइट के अंदर की हवा को साफ करता रहता है, लेकिन ऐसा सिस्टम हर फ्लाइट में नहीं होता। इसलिए कोविड पासपोर्ट होने से इन सारी परेशानियों से बचा जा सकेगा।
IATA कब तक इस ऐप को लॉन्च कर देगा?
इस साल इस ऐप की पायलट टेस्टिंग शुरू हो जाएगी। जबकि, मार्च 2021 तक इसे एपल डिवाइस के लिए लॉन्च करने की बात कही जा रही है। वहीं, एंड्रॉयड डिवाइस के लिए इसे अप्रैल 2021 तक लॉन्च किया जा सकता है।
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