जैसा विमान मोदी के लिए आ रहा है, वैसा दुनिया में सिर्फ ट्रम्प के पास, हवा में ही बन जाएगा पीएमओ, इसमें किचन से लेकर ऑपरेशन थिएटर तक
फरवरी में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प जब भारत आए थे, तब सबसे ज्यादा चर्चा उनकी कार और उनके विमान को लेकर हुई थी। ट्रम्प जिस विमान से यात्रा करते हैं, वो एयरफोर्स वन है। इसे दुनिया का सबसे सुरक्षित विमान माना जाता है। अब यही विमान भारत आने वाला है। ये बोइंग 777-300 ईआर है, जिसे अमेरिकी कंपनी बोइंग ने तैयार किया है।
भारत ने वीवीआईपी के लिए ऐसे तीन विमान खरीदे हैं, जिनमें से एक इसी हफ्ते आने वाला है। भारत में सिर्फ तीन ही लोग हैं, जो वीवीआईपी हैं। पहले हैं राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, दूसरे हैं उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू और तीसरे हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी।
दिल्ली में पालम एयरपोर्ट पर एयरफोर्स की एक स्क्वाड्रन है, जिसे एयर हेडक्वार्टर कम्युनिकेशन स्क्वाड्रन या वीवीआईपी स्क्वाड्रन भी कहते हैं। इसी स्क्वाड्रन में वही विमान शामिल होते हैं, जो वीवीआईपी को अंतर्राष्ट्रीय दौरे पर ले जाते हैं।
वीवीआईपी स्क्वाड्रन क्या है? इसमें कौन-कौन से विमान हैं? एयरफोर्स वन की खासियत क्या है? ऐसे ही कुछ सवालों के जवाब जानिए रिटायर्ड एयर मार्शल अनिल चोपड़ा से...
1. क्या है वीवीआईपी स्क्वाड्रन?
1 नवंबर 1947 को पालम एयरपोर्ट पर एयरफोर्स स्टेशन बना था। उस समय उसमें डकोटा डीसी-3, डेवोन, आईएल-14, विस्काउंट, एव्रो एचएच-748, एल-1049 सुपर कॉन्स्टेलेशन, टीयू-124के, बोइंग 737, एमआई-4 और एमआई-8 जैसे विमान थे। फिलहाल, इसमें तीन बोइंग बिजनेस जेट, 4 एम्ब्रेयर-135 एयरक्राफ्ट और 6 एमआई-8 हेलीकॉप्टर हैं।
साथ-साथ इसमें बोइंग 747-400 एयरक्राफ्ट हैं, जिनसे वीवीआईपी इंटरनेशनल विजिट करते हैं। क्योंकि यहां वीवीआईपी की इंटरनेशनल विजिट के लिए विमान तैनात रहते हैं, इसलिए इसे वीवीआईपी स्क्वाड्रन भी कहा जाता है।
जब राष्ट्रपति किसी विदेश यात्रा पर जाते हैं, तो उसका खर्चा एयरफोर्स उठाती है। जबकि, उपराष्ट्रपति की विदेश यात्रा का खर्च विदेश मंत्रालय और प्रधानमंत्री की विदेश यात्रा का खर्च पीएमओ उठाता है।
वीवीआईपी स्क्वाड्रन में शामिल विमानों की खासियत
1. एम्ब्रेयर 135 : 1800 मीटर के रनवे से ही टेकऑफ कर सकता है
- एम्ब्रेयर 135 एक ट्विन-टर्बोफैन-इंजन जेट है। इसे ब्राजील की एयरोस्पेस कंपनी एम्ब्रेयर ने तैयार किया है। इस विमान को सितंबर 2005 में एव्रो के रिप्लेसमेंट के तौर पर वीवीआईपी स्क्वाड्रन में शामिल किया गया था।
- इस विमान का वजन 22 हजार 570 किलो होता है और इसकी फ्यूल कैपेसिटी 8,300 किलो तक होती है। 10 यात्रियों के साथ ये 3,100 नॉटिकल माइल्स की स्पीड से उड़ सकता है।
- इसमें एक 40 क्यूबिक मीटर का एक कैबिन है, जिसमें 12 यात्री बैठ सकते हैं। साथ ही एक वीआईपी कैबिन भी है, जिसमें 4 यात्री बैठ सकते हैं।
- इस विमान की एक खासियत ये भी है कि ये 1800 मीटर के रनवे पर टेकऑफ और 1400 मीटर के रनवे पर लैंड कर सकता है। इसके अलावा ये विमान मिसाइल डिफ्लेक्टिंग सिस्टम, मॉडर्न फ्लाइट मैनेजमेंट सिस्टम, ग्लोबल पॉजिशनिंग सिस्टम के साथ-साथ कैटेगरी-2 के इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम और अन्य नेविगेशन सिस्टम के साथ आता है।
2. बोइंग बिजनेस जेट : वीवीआईपी के लिए ऑफिस और बेडरूम भी
- अमेरिकी कंपनी बोइंग का ये 737 सीरीज का विमान है। इस एयरक्राफ्ट में 25 से 50 यात्री बैठने की व्यवस्था होती है। एयरफोर्स के पास तीन विमान हैं। इनके नाम- राजदूत, राजहंस और राजकमल हैं। इनकी कीमत 93.4 अरब रुपए है, जिसमें 20 अरब रुपए का सेल्फ प्रोटेक्शन सूट यानी एसपीएस भी है। एसपीएस में रडार वार्निंग सिस्टम, मिसाइल एप्रोच वार्निंग और काउंटर मेजर सिस्टम शामिल है। अगर कोई राडार पर लेकर इस विमान पर मिसाइल मारता है तो ये विमान उस मिसाइल से खुद को दूर करने में सक्षम है।
- इस विमान में वीवीआईपी के लिए एक ऑफिस और एक बेडरूम भी होता है। इस विमान में सफर करने वाले हर यात्री के पास कलर फोटो आइडेंटिटी होती है। इस विमान के फर्स्ट क्लास में ऑफिशियल डेलीगेशन बैठता है। जबकि, सुरक्षाकर्मी और अन्य कर्मचारी सामान्य क्लास में बैठते हैं। इस विमान का इस्तेमाल आमतौर पर डोमेस्टिक विजिट या फिर पडोसी देशों की यात्रा के लिए किया जाता है।
3. बोइंग 747-400 : 22 साल से मिल रही है इसकी सर्विस
- ये भी अमेरिकी कंपनी बोइंग का बनाया विमान है, जो बोइंग 747 का एडवांस्ड वर्जन है। इसकी रेंज 1850 किमी है। ये फरवरी 1989 से कमर्शियल सर्विस में है। 1989 से 2009 तक ये बोइंग 747 फैमिली का बेस्ट सेलिंग एयरक्राफ्ट रहा है।
- फिलहाल, एयर इंडिया के बेड़े में चार बोइंग 747-400 विमान हैं, जिनका इस्तेमाल वीवीआईपी के लिए किया जाता है। हालांकि, ये विमान सर्विस में 22 साल से हैं, इसलिए अब इनका ज्यादा इस्तेमाल भी नहीं होता। यही वजह है कि अब नए विमानों को खरीदा जा रहा है।
अमेरिकी राष्ट्रपति के पास है एयरफोर्स वन
- अमेरिकी राष्ट्रपति जिस विमान से सफर करते हैं, उसे एयरफोर्स वन कहा जाता है। 1943 में सोचा गया कि अमेरिकी राष्ट्रपति की यात्रा के लिए एक खास विमान होना चाहिए। उस समय अमेरिकी सेना और एयरफोर्स ने एक सी-54 स्कायमास्टर को प्रेसिडेंशियल यूज के लिए तब्दील कर दिया। पहली बार फरवरी 1945 में उस समय के अमेरिकी राष्ट्रपति फ्रैंकलीन डी. रूजवेल्ट ने इस विमान से यात्रा की। उनके बाद के राष्ट्रपति हैरी एस. ट्रूमेन ने भी 2 साल तक इसका इस्तेमाल किया।
- 1953 में अमेरिकी कंपनी लॉकहीड ने 'कोलंबिन II' नाम से विमान तैयार किया, जिसमें पहली बार ड्वाइड डी आइजनहोवर ने यात्रा की। उसके बाद लॉकहीड ने 'कोलंबिन III' भी तैयार किया। 1960 और 70 के दशक में बोइंग ने दो विमान बोइंग 707 तैयार किए।
- 1990 के बाद से अमेरिकी राष्ट्रपति के बेड़े में दो बोइंग VC-25As शामिल है, जो बोइंग 747-200बी का कस्टमाइज्ड वर्जन है। इसके बाद अमेरिकी एयरफोर्स ने दो बोइंग 747-8 का ऑर्डर दिया है, जो अगला एयरफोर्स वन होगा।
भारत को कैसे मिले बोइंग 777-300 ईआर?
- काफी लंबे समय से नए विमानों की खरीद पर चर्चा चल रही थी। जरूरत ये भी महसूस की गई कि नए विमान टू-इंजन या फोर-इंजन होने चाहिए। सरकार ने बोइंग 747 को रिप्लेस करने के लिए बोइंग 777-300 ईआर को चुना।
- 2006 में एयर इंडिया ने बोइंग को 68 विमानों का ऑर्डर दिया। इसमें 27 ड्रीमलाइनर, 15 बोइंग 777-300ईआर, 8 बोइंग 777-200 एलआर और 18 बोइंग 737-800 शामिल हैं।
- 24 जनवरी 2018 को तीन बोइंग 777-300 ईआर भारत को मिल चुके हैं। इनमें से दो को वीवीआईपी मोडिफिकेशन के लिए दोबारा अमेरिका भेजा गया है।
- अमेरिकी राष्ट्रपति के एयरफोर्स वन की तर्ज पर बोइंग 777-300 ईआर का कमर्शियल इस्तेमाल बिल्कुल नहीं किया जाएगा। जैसे- इससे पहले बोइंग-747 विमानों का कमर्शियल यूज भी होता था और वीवीआईपी के लिए भी इनका इस्तेमाल होता था। डिफेंस मिनिस्ट्री बोइंग 777-300 ईआर को एयर इंडिया से खरीदेगी और सितंबर 2021 से इनका इस्तेमाल शुरू हो जाएगा।
- एक बात और कि इन नए विमानों को एयरफोर्स के पायलट ही उड़ाएंगे, एयर इंडिया के नहीं। हालांकि, इन विमानों के रखरखाव की जिम्मेदारी एयर इंडिया इंजीनियरिंग सर्विसेस लिमिटेड के पास होगी, जो एयर इंडिया की सब्सिडियरी है।
नए विमानों में क्या है खास?
- नए बेड़े में सुरक्षा का सबसे ज्यादा ध्यान रखा गया है। नए एयरक्राफ्ट में इंटीग्रेटेड डिफेंसिव इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूट (AIDEWS) है, जो प्लेन को इलेक्ट्रॉनिक खतरों से बचाता है। इन विमानों में लार्ज एयरक्राफ्ट इंफ्रारेड काउंटरमेजर्स (LAICRM) सेल्फ-प्रोटेक्शन सूट है, जो विमान की तरफ आने वाली मिसाइल को डिटेक्ट करने और उसे जाम करने में मदद करता है। ये सिस्टम स्पेशल पैकेज के तहत मिला है, जिसकी लागत 190 मिलियन डॉलर है। इसमें 12 गार्जियन लेजर ट्रांसमिटर असेंबली, मिसाइल वार्निंग सेंसर और काउंटर-मेजर डिस्पेंसिंग सिस्टम भी है। अमेरिका की डिफेंस सिक्योरिटी को-ऑपरेशन एजेंसी ने भी इसे क्लियरेंस दिया है।
- इन विमानों में लेटेस्ट सिक्योरिटी और कम्युनिकेशन सिस्टम हैं। ये विमान ग्रेनेड और रॉकेट हमला तक झेल सकता है। कुछ रिपोर्ट्स ये भी कहती हैं कि इसमें हवा में ही फ्यूल भरा जा सकता है। हालांकि, इस बात की अभी कोई पुष्टि नहीं हुई है।
17 घंटे तक लगातार उड़ान भर सकता है
इस विमान में न सिर्फ बेहतरीन सेल्फ-डिफेंस इक्विपमेंट हैं, बल्कि ये विमान दो GE90-115BL इंजन से लैस है, जो दुनिया का सबसे शक्तिशाली इंजन है। बोइंग 777-300 ईआर एक बार में 17 घंटे तक की उड़ान भर सकता है और भारत से अमेरिका के बीच की लंबी दूरी भी एक बार में तय कर सकता है। वो भी बिना रिफ्यूलिंग के। यानी एक बार के फ्यूल से ही इससे लंबी दूरी की उड़ान भरी जा सकती है। इससे पहले बोइंग 747 में ये क्षमता नहीं थी।
सिर्फ वीवीआईपी के लिए ही होंगे नए विमान
- भारत के लिए तैयार हो रहे 'एयरफोर्स वन' या 'एयर इंडिया वन' विमान सिर्फ और सिर्फ वीवीआईपी के लिए ही होंगे। अभी तक होता ये था कि वीवीआईपी के लिए जो विमान इस्तेमाल होते थे, वो पहले कमर्शियल विमान रह चुके थे। फिलहाल, भारतीय वायुसेना के बेड़े में एम्ब्रेयर जेट शामिल है।
- जो नए बोइंग 777-300 ईआर भारत आ रहे हैं, उनपर हिंदी और अंग्रेजी भाषा में 'भारत' लिखा होगा और बीच में राष्ट्रीय प्रतीक चिह्न होगा। जबकि, इसकी टेल पर तिरंगा बना होगा। ठीक उसी तरह, जिस तरह अमेरिकी राष्ट्रपति के विमान में होता है।
हवा में ही पहुंच जाएगा पीएमओ
- ये एयरक्राफ्ट मिनी पीएमओ की तरह काम करेगा और इसमें सिक्योर मोबाइल और सैटेलाइट फोन और कम्युनिकेशन फैसेलिटी भी हैं। इस विमान में कॉन्फ्रेंसिंग के लिए भी अलग से जगह है। साथ ही वीवीआईपी और सीनियर अफसरों के बैठने के लिए अलग जगह हैं। इसमें किचन भी है। इस विमान में ऑन-बोर्ड मेडिकल स्टाफ भी होगा और एक छोटा ऑपरेशन थिएटर भी।
- ऐसे दो विमान सितंबर के पहले हफ्ते में आने की उम्मीद है। कोरोनावयरस की वजह से इनकी डिलिवरी दो महीने लेट हो रही है।
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